Chhath Vrat Katha

छठ व्रत भगवान सूर्यदेव को समर्पित एक विशेष पर्व है। भारत के कई हिस्सों में खासकर यूपी और बिहार में तो इसे महापर्व माना जाता है। शुद्धता, स्वच्छता और पवित्रता के साथ मनाया जाने वाला यह पर्व आदिकाल से मनाया जा रहा है। छठ व्रत में छठी माता की पूजा होती है और उनसे संतान की रक्षा का वर मांगा जाता है।

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाए जाने वाले छठ व्रत का वर्णन भविष्य पुराण में सूर्य षष्ठी के रूप में है। हालांकि लोक मान्यताओं के अनुसार सूर्य षष्ठी या छठ व्रत की शुरुआत रामायण काल से हुई थी। इस व्रत को सीता माता समेत द्वापर युग में द्रौपदी ने भी किया था।

छठ व्रत कथा (Chhath Vrat Katha): कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम के एक राजा थे। उनकी पत्नी का नाम मालिनी था। परंतु दोनों की कोई संतान न थी। इस बात से राजा और उसकी पत्नी बहुत दुखी रहते थे। उन्होंने एक दिन संतान प्राप्ति की इच्छा से महर्षि कश्यप द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। इस यज्ञ के फल स्वरूप रानी गर्भवती हो गई।

नौ महीने बाद संतान सुख को प्राप्त करने का समय आया तो रानी को मरा हुआ पुत्र प्राप्त हुआ। इस बात का पता चलने पर राजा को बहुत दुख हुआ। संतान शोक में वह आत्म हत्या का मन बना लिया। परंतु जैसे ही राजा ने आत्महत्या करने की कोशिश की उनके सामने एक सुंदर देवी प्रकट हुईं। 

देवी ने राजा को कहा कि "मैं षष्टी देवी हूं"। मैं लोगों को पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं। इसके अलावा जो सच्चे भाव से मेरी पूजा करता है मैं उसके सभी प्रकार के मनोरथ को पूर्ण कर देती हूं। यदि तुम मेरी पूजा करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी।" देवी की बातों से प्रभावित होकर राजा ने उनकी आज्ञा का पालन किया। 

राजा और उनकी पत्नी ने कार्तिक शुक्ल की षष्टी तिथि के दिन देवी षष्टी की पूरे विधि -विधान से पूजा की। इस पूजा के फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। तभी से छठ का पावन पर्व मनाया जाने लगा।छठ व्रत के संदर्भ में एक अन्य कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। इस व्रत के प्रभाव से उसकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिल गया। Read more..

Comments

Popular posts from this blog

How To Do Havan At Home Without Pandit & The Havan Mantras

Different Weapons Of Goddess Durga And Their Significance

Significance of Varmala Ceremony – The First Step To A New Life!