जानिए श्रावण मास का तीसरा सोमवार क्यों है विशेष फलदायी

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जानिए श्रावण मास का तीसरा सोमवार क्यों है विशेष फलदायी – Know why the third Monday of the month of Shravan is most Important

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्रावण मास मनुष्यों के लिए फल दायी ही नहीं अपितु पशु पक्षियों में भी एक नव चेतना का संचार करता है। जब प्रकृति अपने पुरे चरम सीमा पर होती है तो साधारण व्यक्ति को भी कवि हृदय बना देती है | सावन माह  में मौसम का परिवर्तन होने लगता है। हरियाली और पुष्पित फूलो से धरती का श्रृंगार होता है।  परन्तु धार्मिक परिदृश्य से सावन मास भगवान शिव को ही समर्पित रहता है।  स्कंद पुराण के अनुसार जब सनत कुमार ने भगवान शिव से पूछा कि आपको श्रावण मास इतना प्रिय क्यों है? तब शिवजी ने बताया कि देवी सती ने भगवान शिव को हर जन्म में अपने पति के रूप में पाने का प्रण लिया था। लेकिन अपने पिता दक्ष प्रजापति के द्वारा भगवान शिव को अपमानित करने के कारण देवी सती ने योगशक्ति से शरीर त्याग दिया। इसके पश्चात उन्होंने दूसरे जन्म में पार्वती नाम से राजा हिमालय और रानी नैना के घर जन्म लिया। उन्होंने युवावस्था में श्रावण महीने में ही निराहार रहकर कठोर व्रत द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया।

सावन के तीसरे सोमवार-जानिए व्रत का महत्व और पुण्य फल –

सावन के महिने में भगवान शिव को प्रसन्न कर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए सावन सोमवार का विशेष महत्व है। शिव की उपासना व व्रत करने की अगर विधि सही हो तो शिव जी जल्दी प्रसन्न हो जाते है और अपने भक्त की मनचाही मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं। श्रावण माह के सभी सोमवारों में श्रावण माह का  तीसरा सोमवार विशेष ही महत्व पूर्ण है इस दिन रखा गया श्रद्धा पूर्वक उपवास सभी श्रावण माह के सोमवारों में एक विशेष प्रभावी है जो हर भक्त के लिए फलदायी साबित होता है |

सावन व्रत के नियम –

  1. व्रतधारी को ब्रह्म मुर्हत में उठकर पानी में कुछ काले तिल डालकर नहाना चाहिए।
  2. भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से होता है परंतु विशेष अवसर व विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, आदि कई सामग्रियों से अभिषेक की विधि प्रचिलत है।
  3. भगवान शिव को श्वेत फूल, सफेद चंदन, चावल, पंचामृत, सुपारी, फल और गंगाजल या साफ पानी से भगवान शिव और पार्वती का पूजन करना चाहिए।
  4. मान्यता है कि अभिषेक के दौरान पूजन विधि के साथ-साथ मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक माना गया है फिर महामृत्युंजय मंत्र का जाप हो, गायत्री मंत्र हो या फिर भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र।
  5. शिव-पार्वती की पूजा के बाद सावन के सोमवार की व्रत कथा करें।
  6. आरती करने के बाद भोग लगाएं और घर परिवार में बांटने के पश्चात स्वयं ग्रहण करें।
  7. श्रद्धापूर्वक व्रत करें। अगर पूरे दिन व्रत रखना सम्भव न हो तो सूर्यास्त तक भी व्रत कर सकते हैं।
  8. ज्योतिष शास्त्र में दूध को चंद्र ग्रह से संबंधित माना गया है क्योंकि दोनों की प्रकृति शीतलता प्रदान करने वाली होती है। चंद्र ग्रह से संबंधित समस्त दोषों का निवारण करने के लिए सोमवार को महादेव पर दूध अर्पित करें।
  9. समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए शिवलिंग पर प्रतिदिन गाय का कच्चा दूध अर्पित करें। ताजा दूध ही प्रयोग में लाएं, डिब्बा बंद अथवा पैकेट का दूध अर्पित न करें।
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