जानिए क्यों है सर्वोपरि है माँ वैभव लक्ष्मी व्रत व उसका महत्व

जानिए क्यों है सर्वोपरि है माँ वैभव लक्ष्मी व्रत व उसका महत्व - Maa Vaibhav Laxmi

जानिए क्यों है सर्वोपरि है माँ वैभव लक्ष्मी व्रत व उसका महत्व – Know why is paramount importance of Maa Vaibhav Laxmi fast and its importance

भारतीय हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार देवी लक्ष्मी का पूजन सुख-समृद्धि, धन, वैभव और एश्वर्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। माना जाता है कि पुरे विधि विधान के साथ देवी लक्ष्मी का पूजन करने से व्यक्ति को धन, वैभव और एश्वर्य की प्राप्ति होती है। हिन्दू धर्म में देवी लक्ष्मी के अनेकों स्वरूपों का पूजन किया जाता है जिनमे उनके धनलक्ष्मी यानी वैभव लक्ष्मी स्वरुप को श्रीयंत्र अति प्रिय है। इसलिए वैभव लक्ष्मी व्रत में श्री यंत्र का पूजन भी किया जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता के पूजन के लिए निहित है। जिसमे लक्ष्मी पूजन के लिए शुक्रवार को उपयुक्त माना जाता है। इस दिन माँ लक्ष्मी के वैभव लक्ष्मी स्वरुप की आराधना की जाती है। माँ वैभव लक्ष्मी के इस व्रत को परिवार का कोई भी सदस्य कर सकता है लेकिन मुख्य रूप से स्त्रियाँ ही इस व्रत को करती है। यदि घर में कोई विवाहित स्त्री न हो तो कुंवारी कन्या भी इस व्रत को कर सकती है। माना जाता है यदि घर का पुरुष यह व्रत करें तो इसका शीघ्र फल मिलता है।

व्रत रखने से पूर्व लें संकल्प –

वैभव लक्ष्मी का व्रत प्रत्येक शुक्रवार को किया जाता है जिसे प्रारंभ करने से पूर्व संकल्प लिया जाता है। इसके अलावा सूतक और घर से बाहर होने की स्थिति में वैभव लक्ष्मी व्रत का व्रत नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह व्रत हमेशा अपने घर में ही किया जाता है। माना जाता है पूरी श्रद्धा और शांत मन के साथ ही वैभव लक्ष्मी का व्रत करना चाहिए। अगर मन में अशांति हो या कोई अन्य समस्या हो तो भी यह व्रत नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलता।

माँ वैभव लक्ष्मी की व्रत कथा विधि 

वैभव लक्ष्मी के व्रत के दिन व्रत रखने वकाले जातक प्रातः काल उठ कर स्नान आदि से निवृत होकर पवित्र हो जाए। उसके बाद  संकल्प ले कर पुरे दिन माँ  लक्ष्मी जी का ध्यान कर  शाम के समय पूरी सामग्री इकट्ठी कर लें। इसके बाद व्रती अच्छे वस्त्र पहन लें। और पूजन करने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठ जाएं। उसके बाद लाल चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। अब इस पर श्री वैभव लक्ष्मी की तस्वीर और श्री यंत्र रखें। तस्वीर के सामने चौकी पर चावल का ढेर रखें। उसपर जल से भरा हुआ तांबे का कलश रखें और कलश के ऊपर एक कटोरी रखें जिसमे सोने या चांदी का कोई आभूषण या सिक्का डाल दें। उसके बाद  माँ वैभव लक्ष्मी जी विधि विधान से पाठ करें। अब कटोरी में रखें हुए गहने या रूपये पर हल्दी चढ़ाएं और फिर कुमकुम लगाकर अक्षत अर्पित करें। इसके पश्चात वैभव लक्ष्मी जी को लाल गुलाब का फूल अर्पित करें और लक्ष्मी स्तवन का पाठ करते हुए गहने या रूपए की पूजा करें। पूजन समाप्त होने के पश्चात पूरी निष्ठां से माँ वैभव लक्ष्मी की कथा सुनें या पढ़ें। ध्यान रहें कथा हमेशा हाथ जोड़कर बोल-बोलकर पढनी चाहिए ताकि अन्य भक्त जन भी इस कथा का श्रवण कर सकें। और माँ का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
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